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बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-2 - निर्देशन एवं परामर्श

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :232
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2709
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-2 - निर्देशन एवं परामर्श

प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श कर्मचारी वर्ग के रूप में प्रधानाचार्य की भूमिका की विवेचना कीजिए।

उत्तर -

निर्देशन एवं परामर्श कर्मचारी वर्ग के रूप में प्रधानाचार्य की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। सम्पूर्ण विद्यालय का उत्तरदायित्व प्रधानाचार्य पर होता है। वह विद्यालय की प्रत्येक गतिविधियों से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा होता है। अतः निर्देशन एवं परामर्श कर्मचारी वर्ग के रूप में प्रधानाचार्य निम्नलिखित भूमिकाओं का निर्वहन करता है -

(1) वैयक्तिक निर्देशन एवं परामर्श - किसी भी प्रकार का परामर्श एवं निर्देशन व्यक्ति विशेष को ही दिया जाता है। अतः शिक्षक, छात्र और कर्मचारी निर्देशन एवं परामर्श एक ही श्रेणी में रखे जा सकते हैं। प्राचार्य विद्यालय की गतिविधि से सम्बन्धित कार्यों पर शिक्षक को आवश्यक निर्देश एवं परामर्श कर सकता है। वह शैक्षिक गतिविधियों से सम्बन्धित परामर्श देने एवं निर्देशन का कार्य करता है।

(2) पाठ्य सहगामी क्रियाओं का आयोजन - प्रत्येक बालक की रुचियाँ भिन्न-भिन्न होती हैं। किसी की रुचि खेल में, किसी की नाटक, भाषण, वाद-विवाद, गायन, कविता, लेख लेखन आदि गतिविधियों में हो सकती हैं। बालकों के सर्वांगीण विकास हेतु केवल बौद्धिक विकास ही पर्याप्त नहीं वरन् शारीरिक, सामाजिक, नैतिक सभी क्षेत्रों में सन्तुलन अनिवार्य है। अतः अध्यापकों को विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में निर्देशन एवं परामर्श दोनों में प्राचार्य सहयोग करता है तथा अपने निर्देशन में सभी कार्यों को सम्पन्न करता है।

(3) संवेगात्मक क्रियाओं में - प्रत्येक व्यक्ति का अधिकांश जीवन संवेगों के द्वारा संचालित होता है। अतः जीवन को उपयुक्त दिशा देने के लिये हमें संवेगों पर नियंत्रण रखना आवश्यक है। किशोरावस्था में बालक का संवेगात्मक विकास तीव्रता से हो रहा होता है। एक प्राचार्य के सम्पर्क में अधिकांशतः किशोर अथवा युवा बालक आते हैं। अतः निर्देशक के रूप में शिक्षक का सबसे महत्वपूर्ण कार्य बालक के संवेगों को सही दिशा देना है।

(4) व्यवहार सम्बन्धी निर्देशन एवं परामर्श - छात्र जीवन में व्यक्ति प्रायः व्यवहार कुशल नहीं होता है जिस कारण उसके समक्ष सामाजिक समायोजन की समस्या उत्पन्न हो जाती है। एक कुशल निर्देशक एवं परामर्शक के रूप में प्राचार्य अपने विद्यार्थियों को इस प्रकार का निर्देशन परामर्श देता है, जिससे वह अपने साथियों और समाज में भली-भाँति समायोजित हो सके।

(5) कक्षा-कक्ष व्यवहार सम्बन्धी निर्देशन, परामर्श - विद्यालय स्तर पर विद्यार्थी प्रायः कक्षा-कक्ष में किये जाने वाले व्यवहारों से अनभिज्ञ रहता है। प्राचार्य शिक्षक के कक्षा में प्रवेश करते समय, अध्यापन कार्य करते समय अथवा कक्षा से अध्यापक के बाहर जाते समय विद्यार्थी को किस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए, यह निर्देशन एवं परामर्श देने का दायित्व अध्यापक के साथ-साथ प्राचार्य का भी होता है।

(6) कक्षा-कक्ष का निरीक्षण - प्राचार्य कक्षा-कक्ष का निरीक्षण करता है। इस निरीक्षण कार्य में कक्षा-कक्ष से सम्बन्धित व्यवस्था, सुधार, आवश्यक परिवर्तन सम्बन्धी आवश्यक निर्देश एवं परामर्श कक्षाध्यापक को देता है। कक्षा-कक्ष के संचालन सम्बन्धी परामर्श अध्यापक को देता है। कक्षा- कक्ष की साज-सज्जा, फर्नीचर, शिक्षण सहायक सामग्री, चार्ट, श्याम का रख-रखाव आदि की समुचित व्यवस्था करने एवं कक्षा-कक्ष सम्बन्धी आवश्यक गतिविधियों की जानकारी देने का आवश्यक निर्देशन एवं परामर्श अध्यापक को देता है।

(7) अभिलेख तैयारी - विद्यालय के समस्त अभिलेख प्राचार्य के निर्देशन एवं परामर्श के अनुसार तैयार किये जाते हैं। अभिलेखों का लेखांकन, मूल्यांकन एवं परीक्षण का कार्य प्राचार्य के निर्देशन एवं परामर्श के सहयोग से तैयार किये जाते हैं। विद्यार्थियों की समस्त प्रकार की सूचनाओं से सम्बन्धित अभिलेख तैयार करवाना। सामान्यतः संकलित आलेख - पत्र में विद्यार्थियों के समस्त पक्षों यथा शारीरिक, शैक्षिक, बौद्धिक, अभिवृत्ति सम्बन्धी रुचियाँ आदि का लेखा-जोखा रहता है। इन्हें समयानुसार पूर्ण करने का कार्य प्राचार्य के निर्देशन एवं परामर्श में ही होता है।

(8) भौतिक व आर्थिक संसाधन उपलब्ध करना हैं - विद्यालय में अनेक भौतिक व आर्थिक संसाधनों की आवश्यकता होती है। भौतिक संसाधनों में फर्नीचर, पीने का पानी, शौचालय, कक्षा- कक्ष, कार्यालय प्रयोगार्थ सामग्री, अध्यापक उपस्थिति रजिस्टर, विद्यालय वाहन आदि का प्रबन्धन प्राचार्य के निर्देशन एवं परामर्श में होता है। भौतिक संसाधनों को खरीदने, रख-रखाव में खर्च के लिये प्राचार्य आर्थिक संसाधनों की व्यवस्था करता है। शिक्षा नियंत्रक संस्थाओं से आवश्यक वित्त उपलब्ध कराने का कार्य प्राचार्य के निर्देशन में सम्पन्न होता है।

(9) विद्यार्थियों का शैक्षिक निर्देशन एवं परामर्श - शैक्षिक निर्देशन, परामर्श द्वारा प्राचार्य छात्रों को शिक्षा सम्बन्धी समायोजन और चुनाव के लिये सहायता करता है। इसके द्वारा छात्रों को विद्यालय प्रवेश के समय उचित मार्गदर्शन देना, अध्ययन सम्बन्धी बातें बताना, शिक्षा की योजना बनांना, व्यवसाय चुनने में सहायता करना तथा व्यवसाय के प्रति उनकी विशेष रुचि उत्पन्न करना और अध्ययन की उचित विधियाँ बतलाना, पुस्तकालय का उत्तम प्रयोग करना सिखाना, तथा उच्च शिक्षा संस्थाओं की सूचना देना इत्यादि सिखाया जाता है।

. (10) कर्मचारियों में योग्यता अनुसार कार्यों का वितरण करना - विद्यालय में शैक्षिक पठन-पाठन के सहयोग एवं संचालन के लिये विद्यालय में अनेक सहायक गतिविधियाँ निरन्तर होती रहती हैं। इन कार्यों के संचालन एवं समयबद्धता के लिये अनेक कर्मचारियों की आवश्यकता होती है। इन कर्मचारियों, अध्यापकों की नियुक्ति प्राचार्य द्वारा की जाती है एवं इनके मध्य कार्य विभाजन का कार्य प्रधानाचार्य करते हैं। प्रधानाचार्य कर्मचारियों की योग्यता के अनुसार उन्हें कार्यों का उत्तरदायित्व सौंपते हैं। इन उत्तरदायित्वों का निर्वहन समुचित प्रकार हो, इसका निर्देशन प्रधानाचार्य द्वारा किया जाता है। साथ ही कार्य सम्पादन से सम्बन्धित आवश्यक परामर्श प्रधानाचार्य द्वारा दिया जाता है। अतः विद्यालय के कार्य प्रधानाचार्य के परामर्श एवं निर्देश में ही सम्पन्न होते हैं।

(11) विद्यालय संगोष्ठी का आयोजन करना - समय-समय पर विद्यालय में शैक्षिक प्रगति सम्बन्धी संगोष्ठियों का आयोजन किया जाता है जहाँ पर अध्यापक, विद्यार्थी एवं शैक्षिक क्षेत्रों से सम्बन्धित गणमान्य व्यक्तियों को आमंत्रित किया जाता है। इन संगोष्ठियों में शिक्षा क्षेत्र से सम्बन्धित तथ्यों, समस्याओं पर विचार किया जाता है। विद्यालय की सुधार, आवश्यकताओं पर विचार विमर्श करता है।

(12) समस्या का निदान - प्राचार्य विद्यालय के समस्त छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों की समस्याओं का निदान करता है। वह छात्रों से सम्बन्धित समस्याओं के स्वरूप और उसके कारणों पर शिक्षकों से जानकारी प्राप्त करता है। इससे वह छात्रों के परिवार, पड़ोस, शैक्षणिक स्थिति और व्यवसाय आदि का अध्ययन प्राचार्य के निर्देशन एवं परामर्श में ही होता है। शिक्षकों से सम्बन्धी शिक्षण, कक्षा-कक्ष प्रबन्ध, कक्षा अनुशासन, अन्य व्यक्तिगत समस्याओं पर विचार विमर्श करता है तथा उचित प्रतीत होने पर आवश्यक निर्देश अथवा परामर्श देता है। विद्यालय के कर्मचारियों, चपरासी, माली, बाबू, कार्यालय प्रभारी, पुस्तकालय अध्यक्ष आदि की विद्यालय सम्बन्धी समस्याओं पर विचार करना एवं आवश्यक निर्देश देना प्राचार्य का ही कार्य है। वह शिक्षकों के आपसी मतभेदों को दूर करने का प्रयास करता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- निर्देशन का क्या अर्थ है? निर्देशन की प्रमुख विशेषताओं तथा क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
  2. प्रश्न- निर्देशन के महत्वपूर्ण उद्देश्य कौन-कौन से हैं? विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- निर्देशन के मूल सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- निर्देशन की आवश्यकता से आप क्या समझते हैं? शैक्षिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण से निर्देशन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  5. प्रश्न- "व्यावसायिक निर्देशन शैक्षिक निर्देशन पर प्रभुत्व रखता है।" स्पष्ट कीजिये एवं इस कथन का औचित्य बताइये।
  6. प्रश्न- निर्देशन के प्रमुख सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  7. प्रश्न- निर्देशन की आधुनिक प्रवृत्तियाँ क्या हैं?
  8. प्रश्न- निर्देशन की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- निर्देशन के विषय क्षेत्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  10. प्रश्न- निर्देशन तथा शिक्षा में कौन-कौन से मुख्य अन्तर हैं? स्पष्ट कीजिए।
  11. प्रश्न- निर्देशन के कार्य क्या हैं?
  12. प्रश्न- निर्देशन की प्रकृति का उल्लेख कीजिए।
  13. प्रश्न- भारत में निदर्शन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- "समृद्ध भारत के लिये निर्देशन सेवाओं की अत्यधिक आवश्यकता है।" विभिन्न परिप्रेक्ष्य में इस कथन की विवेचना कीजिए।
  15. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  16. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? शैक्षिक निर्देशन की आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
  17. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन के मुख्य उद्देश्यों तथा शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शैक्षिक निर्देशन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शैक्षिक निर्देशन के स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- व्यक्तिगत निर्देशन किसे कहते हैं? व्यक्तिगत निर्देशन के स्वरूप एवं महत्त्व का वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर व्यक्तिगत निर्देशन के उद्देश्यों या कार्यों का वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- व्यावसायिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? इसके महत्त्व और आवश्यकता को स्पष्ट कीजिए।
  22. प्रश्न- छात्रों के व्यावसायिक निर्देशन में विद्यालय क्या भूमिका निभा सकता है?
  23. प्रश्न- "व्यक्तिगत निर्देशन, निर्देशन का मूलाधार है।" इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  24. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन के प्रमुख सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  26. प्रश्न- शैक्षिक और व्यावसायिक निर्देशन में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
  27. प्रश्न- व्यावसायिक निर्देशन की शिक्षा के क्षेत्र में क्यों आवश्यकता है? स्पष्ट कीजिए।
  28. प्रश्न- व्यक्तिगत निर्देशन किसे कहते हैं? इसके मुख्य उद्देश्य बताइए।
  29. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन के सिद्धान्त क्या है स्पष्ट कीजिए।
  30. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयोगिता का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- सूचना सेवा से आप क्या समझते हैं? सूचना सेवाओं के उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- सूचना सेवा की कार्य विधि का वर्णन कीजिए।
  33. प्रश्न- नियोजन सेवा से आप क्या समझते हैं? विद्यालय के नियोजन सम्बन्धी कार्यों एवं उत्तरदायित्वों पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- निर्देशन सेवाओं में कौन-कौन से कर्मचारी भाग लेते हैं? प्रधानाचार्य एवं अध्यापक की निर्देशन सम्बन्धी भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श में अभिभावक एवं वार्डेन की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- किसी विद्यालय के निर्देशन सेवा के संगठन की आधारभूत आवश्यकताओं का उल्लेख कीजिए।
  37. प्रश्न- निर्देशन सेवा में विद्यालय स्तर पर कार्यरत प्रमुख व्यक्तियों की भूमिका का विस्तारपूर्वक उल्लेख कीजिए।
  38. प्रश्न- अनुवर्ती सेवाओं से आप क्या समझते हैं? इसका क्या प्रयोजन है? अध्ययनरत छात्रों के लिए अनुवर्ती सेवाओं की विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- छात्र सूचना या वैयक्तिक अनुसूची सेवा से आपका क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
  40. प्रश्न- सूचना सेवा की आवश्यक सामग्री का उल्लेख कीजिए।
  41. प्रश्न- नियोजन सेवा के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- परामर्श सेवा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  43. प्रश्न- सूचना सेवा कितने प्रकार की होती है? विवेचना कीजिए।
  44. प्रश्न- व्यावसायिक निर्देशन में आवश्यक सूचनाओं को बताइए।
  45. प्रश्न- व्यक्ति निर्देशन में आवश्यक सूचना को बताइये।
  46. प्रश्न- भारत में व्यवसाय से सम्बन्धित सूचनाओं के प्रमुख स्रोत क्या हैं?
  47. प्रश्न- निर्देशन सेवाओं में परिवार की क्या भूमिका होती है?
  48. प्रश्न- अनुकूलन सेवा से आपका क्या अभिप्राय है? इसकी आवश्यकता के क्या कारण हैं? स्पष्टतया समझाइये।
  49. प्रश्न- उपचारात्मक सेवाओं से आप क्या समझते हैं?
  50. प्रश्न- अनुवर्ती अध्ययन की समस्याएँ एवं समाधान का वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- भूतपूर्व छात्रों का अनुवर्ती अध्ययन क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  52. प्रश्न- भूतपूर्व छात्रों के अनुवर्ती अध्ययन की विधियों का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- कृत्य विश्लेषण एवं कृत्य संतोष में क्या सम्बन्ध है?
  54. प्रश्न- विद्यालयों में निर्देशन सेवाओं से आप क्या समझते हैं? विद्यालय निर्देशन- सेवाओं के संगठन के प्रचलित सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  55. प्रश्न- माध्यमिक स्तर पर निर्देशन सेवाओं के संगठन का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- विद्यालय निर्देशन सेवा के प्रमुखं कार्य कौन-कौन से हैं? प्राथमिक तथा सैकेण्ड्री स्कूल स्तर पर निर्देशन कार्यक्रम संगठन के उद्देश्यों तथा कार्यों की विवेचना कीजिए।
  57. प्रश्न- विद्यालयी निर्देशन सेवाओं के संगठन की मुख्य संकल्पनाएँ क्या हैं? इसकी आवश्यकता व क्षेत्र क्या है? वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- वर्णन कीजिए कि आप एक शिक्षक के रूप में माध्यमिक स्तर पर निर्देशन कार्यक्रम को किस प्रकार से संगठित करेंगे?
  59. प्रश्न- विद्यालय निर्देशन सेवा द्वारा किये जाने वाले मुख्य कार्यों की विवेचना कीजिए।
  60. प्रश्न- विद्यालय की निर्देशन संगठन सेवा का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
  61. प्रश्न- विद्यालय में निर्देशन सेवाओं के सफल संगठन के लिए किन-किन मुख्य बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  62. प्रश्न- विद्यालय में निर्देशन कार्यक्रमों के सफल संचालन हेतु किन-किन कर्मचारियों की आवश्यकता होती है? स्पष्ट कीजिए।
  63. प्रश्न- निर्देशन सेवाओं के विभिन्न रूपों तथा सिद्धान्तों को संक्षिप्त रूप में बताइए।
  64. प्रश्न- निर्देशन में मूल्यांकन के महत्व की विवेचना कीजिए।
  65. प्रश्न- निर्देशन में मूल्यांकन के सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  66. प्रश्न- परामर्श क्या है? परामर्श के उद्देश्य तथा सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- परामर्श क्या है? परामर्श की आवश्यकता तथा महत्व का वर्णन कीजिए। अथवा छात्र परामर्श की आवश्यकता बताइये।
  68. प्रश्न- परामर्श की प्रक्रिया को समझाइए।
  69. प्रश्न- एक अच्छे परामर्शदाता के कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  70. प्रश्न- परामर्श से आपका क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- परामर्श और निर्देशन में कौन-कौन से मुख्य अन्तर पाए जाते हैं? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- एक अच्छे परामर्शदाता में कौन-कौन से गुणों का होना आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  73. प्रश्न- परामर्श से सम्बन्धित प्रमुख परिभाषाओं को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- परामर्श के उद्देश्यों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  75. प्रश्न- "एक परामर्शदाता के लिये समूह गतिशीलता का ज्ञान होना आवश्यक है।" स्पष्ट कीजिए।
  76. प्रश्न- धर्म-परामर्श में सह-सम्बन्ध बताइये।
  77. प्रश्न- व्यक्तिवृत्त-अध्ययन विधि से आप क्या समझते हैं? इसके गुणों का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- संचित अभिलेख पत्र क्या है? संचित अभिलेख पत्र की विशेषताएँ कौन-कौन सी हैं? इस पत्र की उपयोगिता की व्याख्या कीजिए।
  79. प्रश्न- साक्षात्कार प्रविधि से आप क्या समझते हैं? साक्षात्कार प्रविधि के मुख्य तत्त्वों विशेषताओं एवं उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- निर्धारण मापनी या रेटिंग स्केल से आपका क्या अभिप्राय है? इनकी मुख्य विशेषताओं तथा प्रकारों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  81. प्रश्न- साक्षात्कार प्रविधि के कितने प्रकार हैं? अनिर्देशित साक्षात्कार प्रविधि के लाभ एवं सीमाएँ बताइए।
  82. प्रश्न- संचित अभिलेख पत्र के निर्माण के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  83. प्रश्न- व्यक्तिवृत्त अध्ययन प्रविधि की सीमाओं का वर्णन कीजिए।
  84. प्रश्न- साक्षात्कार प्रविधि के गुणों का वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- क्रम निर्धारण प्रविधि या निर्धारण मापनी को परिभाषित कीजिए।
  86. प्रश्न- साक्षात्कार विधि के मुख्य उपयोगों के बारे में संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- निरीक्षण या अवलोकन के अर्थ तथा परिभाषाओं को संक्षेप में स्पष्ट करें।
  88. प्रश्न- निरीक्षण या अवलोकन प्रविधि के दोषों पर प्रकाश डालिए।
  89. प्रश्न- प्रश्नावली प्रविधि के अर्थ तथा परिभाषाओं को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
  90. प्रश्न- क्रम निर्धारण प्रविधि की कमियों या सीमाओं पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  91. प्रश्न- संचयी आलेख का अर्थ बताइए।
  92. प्रश्न- परामर्श प्रदान करने की मुख्य प्रविधियाँ कौन-कौन सी हैं? निर्देशीय तथा अनिर्देशीय परामर्श की प्रविधियों की मुख्य धारणाओं, सोपानों तथा लाभ एवं कमियों का उल्लेख कीजिए।
  93. प्रश्न- परामर्श की प्रमुख प्रविधियाँ कौन-कौन सी हैं? निर्देशन और परामर्श में साक्षात्कार प्रविधि क्यों अधिक उपयोगी सिद्ध हुई है? स्पष्ट कीजिए।
  94. प्रश्न- समन्वित परामर्श से आप क्या समझते हैं? समन्वित परामर्श की मुख्य धारणाओं, लाभों तथा कमियों एवं सीमाओं का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- परामर्श क्या है? परामर्श तथा निर्देशन में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
  96. प्रश्न- निर्देशन के साधन क्या हैं?
  97. प्रश्न- निर्देशात्मक परामर्श की प्रमुख विशेषताओं और सीमाओं पर प्रकाश डालिए।
  98. प्रश्न- अनिदेशात्मक परामर्श से क्या तात्पर्य है? अनिदेशात्मक परामर्श की मूल धारणाओं का उल्लेख कीजिए।
  99. प्रश्न- निर्देशीय तथा अनिर्देशीय परामर्श में कौन-कौन से मुख्य अन्तर पाए जाते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  100. प्रश्न- अनिर्देशीय परामर्श की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  101. प्रश्न- अनिर्देशीय परामर्श के मुख्य कार्यों को संक्षेप में बताएँ।
  102. प्रश्न- समन्वित परामर्श मुख्य चरणों या पदों को संक्षिप्त रूप में स्पष्ट कीजिए।
  103. प्रश्न- निर्देशीय परामर्श के मुख्य चरण या सोपान कौन-कौन से हैं? स्पष्ट कीजिए।
  104. प्रश्न- परामर्श के किसी एक उपागम का वर्णन कीजिए।
  105. प्रश्न- परामर्शदाता की विशेषताओं, गुणों तथा व्यावसायिक नीतिशास्त्र का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- परामर्शदाता की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  107. प्रश्न- परामर्शदाता में किस प्रकार का अनुभव होना आवश्यक है, बताइये।
  108. प्रश्न- परामर्शदाता का प्रशिक्षण कार्यक्रम बताइये।
  109. प्रश्न- निर्देशन कार्यक्रम में परामर्शदाता की भूमिका क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  110. प्रश्न- परामर्शदाता के व्यक्तित्व सम्बन्धी विशेषकों का उल्लेख कीजिए।
  111. प्रश्न- क्रो एवं क्रो के अनुसार परामर्शदाताओं के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  112. प्रश्न- परामर्शार्थी और परामर्शदाता के पारस्परिक सम्बन्धों को स्पष्ट कीजिए।
  113. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों की आवश्यकता बताइए तथा निर्देशन केन्द्रों के उद्देश्य भी बताइए।
  114. प्रश्न- भारत में निर्देशन एवं परामर्श की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
  115. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों के कार्य बताइए।
  116. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
  117. प्रश्न- बुद्धि से आप क्या समझते हैं? बुद्धि के प्रकार, विशेषताएँ एवं सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  118. प्रश्न- बुद्धि के मापन से आप क्या समझते हैं? बुद्धि परीक्षणों के प्रकार का वर्जन करते हुए बुद्धिलब्धि को कैसे ज्ञात किया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
  119. प्रश्न- शिक्षा और निर्देशन में बुद्धि परीक्षणों की उपयोगिता की विवेचना कीजिए।
  120. प्रश्न- रुचि क्या है? रुचि की महत्वपूर्ण विशेषताओं और प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  121. प्रश्न- अभिवृत्ति का क्या अर्थ है? अभिवृत्ति परीक्षण का वर्णन कीजिए।
  122. प्रश्न- 'रुचि आविष्कारिकाएँ' क्या मापन करती हैं? कम से कम दो रुचि आविष्कारिकाओं का नाम बताइए।
  123. प्रश्न- बुद्धि कितने प्रकार की होती है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  124. प्रश्न- बुद्धि की मुख्य विशेषताएँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
  125. प्रश्न- बुद्धि के अर्थ तथा स्वरूप पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  126. प्रश्न- रुचि का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए।
  127. प्रश्न- रुचियों के मुख्य प्रकार कौन-कौन से हैं? संक्षेप में बताइये।
  128. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श में रुचि सूचियों के लाभ का वर्णन कीजिए।
  129. प्रश्न- रुचि-सूचियों की कमियां या दोषों का उल्लेख कीजिए।
  130. प्रश्न- अभिवृत्ति के वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
  131. प्रश्न- अभिवृत्ति से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  132. प्रश्न- भारतवर्ष में रुचि मापन के कार्यों पर प्रकाश डालिये।.
  133. प्रश्न- निर्देशन सेवाओं में कौन-कौन से कर्मचारी भाग लेते हैं? प्रधानाचार्य एवं अध्यापक की निर्देशन सम्बन्धी भूमिका की विवेचना कीजिए।
  134. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श में अभिभावक एवं वार्डेन की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  135. प्रश्न- विशिष्ट बालकों से क्या अभिप्राय है? उनकी क्या विशेषताएँ हैं? पिछड़े बालकों की शिक्षा एवं समायोजन के लिये निर्देशन व परामर्श का एक कार्यक्रम तैयार कीजिए।
  136. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श कर्मचारी वर्ग के रूप में प्रधानाचार्य की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  137. प्रश्न- विशिष्ट बालकों को निर्देशन व परामर्श देते समय क्या सावधानियाँ रखी जानी चाहिये? वर्णन कीजिए।
  138. प्रश्न- चिकित्सा कर्मचारी किस प्रकार निर्देशन प्रक्रिया में योगदान देते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  139. प्रश्न- निर्देशन प्रक्रिया में शारीरिक शिक्षक के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  140. प्रश्न- निर्देशन कार्यक्रम में परामर्शदाता की भूमिका क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  141. प्रश्न- प्रधानाचार्य के निर्देशन सम्बन्धी उत्तरदायित्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  142. प्रश्न- निर्देशन में शिक्षक की भूमिका क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  143. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मनोचिकित्सक की भूमिका बताइये।

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